जिले में जन्मजात विकृति पीड़ित 102 बच्चों का चल रहा इलाज: सीएमओ
– पीड़ित बच्चों के उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने को लेकर किया जा रहा कार्य
फतेहपुर। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नयन गिरि ने बताया कि देश में हर साल 33000 बच्चे जन्मजात विकृति के साथ पैदा होते है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा० सुरेश कुमार के निर्देशन में डीईआईसी प्रबन्धक विजय सिंह और उनकी टीम बच्चों को चिन्हित कर प्रदेश में जनपद में चिन्हित जन्मजात रोग दोष पीड़ित बच्चों का निःशुल्क उपचार सुनिश्चित हेतु कार्य कर रहे हैं।
सीएमओ ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में जन्मजात दोष से पीड़ित 6000 से भी अधिक बच्चों का इलाज चल रहा है। जिसमें से फतेहपुर जिले के 102 से भी अधिक बच्चों का इलाज मेडिकल कालेज व स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से निःशुल्क कराया जा रहा है, जिनमें बच्चो के दिल में छेद, रीढ़ की हड्डी में फोडा/जुडा न होना आँखो का मोतियाबिन्द, गूँगे-बहरे बच्चे, होठ व तालु कटा होना कूल्हे बराबर न होना, पैरो तलवे का अन्दर की ओर मुडे होना, जन्मजात बच्चो में मानसिक विकार आदि है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाये जा रहे है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से जन्मजात दोषो के अतिरिक्त 42 बीमारियो की स्क्रीनिंग की जाती है। जिससे कि जल्द से जल्द उचित एवं निःशुल्क उपचार प्राप्त कराया जा सके। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की मोबाइल हेल्थ टीमों द्वारा जिसमें प्रत्येक टीम से 2 डाक्टर व 2 पैरामेडिकल उपलब्ध है। उनके द्वारा जनपद के प्रत्येक सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय व आगनबाड़ी का भ्रमण कर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। पीड़ित बच्चों के उपचार के बारे जागरूकता बढ़ाने के लिए आरबीएसके, आशा कार्यकर्ताओं, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों आदि के साथ मिलकर काम कर रहा है। जिला अस्पतालों में प्रत्येक शुक्रवार साप्ताहिक क्लबफुट क्लीनिक का संचालन कर पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता है। जन्मजात विकृति क्यों होता है, इसका कोई विशिष्ट कारण अभी स्पष्ट नही हो सका है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान ड्रग्स का सेवन और धूम्रपान करने की वजह से नवजात में जन्मजात दोष होने की संभावनाए बढ़ जाती है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकम की टीमों द्वारा जनपद में अनीमिया की रोकथाम हेतु प्राइमरी विद्यालयों में आयरन पिंक गोली (45 एमजी) गोलिया व इण्टर कालेजों में आयरन (60 एमजी) गोलिया खण्ड शिक्षा अधिकारी व इण्टर कालेजों में प्राप्त करायी जाती है। जिसको साप्ताहिक एक गोली का उपभोग विद्यालयों में अध्यापकों के माध्यम से किया जा रहा है।