सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से की शिकायत

पीडीए एकता को खंडित कर रहे सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता
– सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से की शिकायत
फोटो परिचय-  सपा सांसद नरेश उत्तम पटेल को पत्र सौंपते सामाजिक संगठनों के लोग।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर। छात्रा ज्योति मौर्या आत्महत्या मामले में आरोपी विद्यालय के प्रधानचार्य राजकपूर को सत्ता पक्ष के साथ मिलकर सपा नेता व राष्ट्रीय प्रवक्ता व अधिवक्ता जगदीश सिंह उर्फ ज़ालिम सिंह द्वारा संरक्षण दिए जाने व पीडीए एकता को खंडित करने का आरोप लगाते हुए विभिन्न सामाजिक संगठनों ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सीएम अखिलेश यादव को शिकायती पत्र भेजकर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जगदीश सिंह उर्फ ज़ालिम सिंह पर कार्रवाई की मांग किया।
शनिवार को मौर्या कुशवाहा उत्थान समिति, पटेल सेवा संस्थान, पासी कल्याण समिति, पिछड़ा वर्ग मोर्चा, पाल सामुदायिक उत्थान समिति व यादव महासभा से जुड़े लोगों ने सपा जिला कार्यालय पहुंचकर सांसद नरेश उत्तम पटेल व जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को संबोधित ज्ञापन देकर सपा नेता पर कार्रवाई की मांग किया। पूर्व सीएम व राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे ज्ञापन में सामाजिक स्मगठनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनपद के खागा तहसील निवासी बेटी ज्योति मौर्या की हृदय विदारक घटना से सामाजिक संगठन के लोग आंदोलित है। कहा कि आरोपी प्रधानाचार्य राजकपूर को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है जिससे पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी व इंडिया गठबंधन पीडीए को मज़बूती के लिए प्रयास कर रही है जबकि सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व अधिवक्ता अपना वकालत नाम लगाकर आरोपी को न्याय दिलाने व संरक्षण देने का काम कर रहे जो कि पीडीए की एकता को खंडित कर रहे है।  इस मौके पर संतोष कुमार, बीरेन्द्र मौर्या, राम सिंह मौर्या, शंकरलाल सविता, विष्णु ललाल मौर्या, वासुदेव पासी, रामखेलावन मौर्या, रामानन्द मौर्या, अरविंद मौर्या, आदि रहे।

जालिम सिंह ने वापस लिया वकालत नामा बोले मैं पूरी तरह से पीड़ित परिवार के साथ हूँ

वहीँ जब इस सम्बंध में अधिवक्ता व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता से बात हुई तो उन्होंने बताया कि
मैं समाजवादी पार्टी का सक्रिय और निष्ठावान कार्यकर्ता हूँ। चूँकि अदालत का पेशा मेरा कमर्शियल स्टेटस है । जिसके कारण मैंने अपना वकालत नामा दाखिल कर दिया था। मुझे जैसे ही पता चला तो मेरी समाजिक संगठनों से बातचीत हुई। जिनसे मैंने ये बताया,, बेटी ज्योति मौर्या घटना की जानकारी के बाद मैं उसकी अंत्योष्टि में उसके घर गया और उसको न्याय दिलाएं जाने की बात को मैंने पूरी तरह से सहयोग करने की बात कही। इस सम्बंध में मुझे समाजिक संगठनों के एतराज के बाद मैंने पूरी तरह वक़ालत नामा अपने वापस ले लिया।
यदि पीड़ित परिवार मेरे पास आता तो मैं उसके पक्ष से न्यायालय में खड़ा दिखाई देता।

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