. ……मर्यादा कुल की बढ़े, मुल्क न हो बदनाम
– शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न
फोटो परिचय- काव्य गोष्ठी में भाग लेते साहित्यकार।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर। शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 362 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के महंत स्वामी रामदास उपस्थित रहे।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा कि हंसवाहिनी शारदे, हो तेरी जयकार। ज्ञान भरो मां बुद्धि में, परिहर कलुष विकार।। कार्यक्रम को गति देते हुए कविता पढ़ी जीवन मानव का मिला, कर कुछ ऐसे काम। मर्यादा कुल की बढ़े, मुल्क न हो बदनाम।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया क्रांति के पावन पुजारी, क्रांति की ज्वाला जला दो। कर्म के उत्तुंग शिखरों, पर बिगुल जाग्रति बजा दो।। दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया शुचि काव्य कला में अति प्रवीण, श्री बालकृष्ण शर्मा नवीन के जन्म दिवस का आज पर्व, जो देश भक्ति में सतत लीन।। शिव सागर साहू ने काव्य पाठ किया- प्रभु सत्ता के सामने, सब सत्ता बेकार। प्रभु सत्ता से होत है, जीव-जगत-उद्धार।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किए- क्षमता से ज्यादा व्यय करके, मत करना महंगी शादी। तुष्टीकरण, दिखावे में ही, होती अपनी बर्बादी।। नरेन्द्र कुमार ने पढ़ा- धर्म-सत्य की मूर्ति थे, युधिष्ठिर भूपाल। उनका करते शत्रु भी, थे सम्मान विशाल।। हिमांशु कुमार जैसल ने पढ़ा- मुझे नहीं हिंदू, मुस्लिम औ सिक्ख ईसाई से मतलब। ईश्वर के घर भेदभाव के सिक्के चले कहां औ कब।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किए- सौम्य, सुस्थिर शांति का, वरदान लेकर क्या करूंगा। कर्मयोगी मुक्ति का अभियान लेकर क्या करूंगा।। चेतना आकाश वाली, मृत्तिका- तन में सुरक्षित, मातृभू की भक्ति में व्यवधान लेकर क्या करूंगा। कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।