महिला महाविद्यालय में नजीर अकबराबादी का अहद व बरसात की बहारें विषय पर हुई संगोष्ठी

गजल ख्वानी प्रतियोगिता में अलीशा ने हासिल किया प्रथम स्थान
– महिला महाविद्यालय में नजीर अकबराबादी का अहद व बरसात की बहारें विषय पर हुई संगोष्ठी
फोटो परिचय- उर्दू विभाग की संगोष्ठी में भाग लेते अतिथि व छात्राएं।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ फतेहपुर। डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ0 गुलशन सक्सेना के मार्गदर्शन में उर्दू विभाग द्वारा नजीर अकबराबादी का अहद और बरसात की बहारें विषय पर एक दिवसीय विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।


संगोष्ठी में हिस्सा लेने वाली छात्राओं में बुशरा वारसी ने पहला, कुलसुम और बुशरा सिद्दीकी ने दूसरा और नशरा ने तीसरा स्थान हासिल किया। बीए द्वितीय वर्ष के छात्राओं के बीच गजल गायन ख्वानी प्रतियोगिता आयोजित की गई। अलीशा ने पहला, जैनब ने दूसरा, जुबैदा ने तीसरा और अलीना निशा ने सांत्वना स्थान हासिल किया। निर्णायक मंडल में न्यायाधीशों की भूमिका डॉ0 मीरा पाल इतिहास विभागाध्यक्ष, डॉ0 चंद्र भूषण विभागाध्यक्ष संगीत और आनंद नाथ, इतिहास विभाग ने निभाई। अलीशा ने मोमिन खान मन की एक खूबसूरत गजल, वह जो हम मंे तुम में फरार था तुम्हें याद हो के न याद हो, वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो खूबसूरत अंदाज में गायी। जुबेदा खान ने अहमद फराज की मशहूर गजल, सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं, ये बात है तो चलो बात करके देखते हैं दिलकश अंदाज में प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्ष और कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गुलशन सक्सेना ने छात्राओं भूरि-भूरि प्रशंसा की और उनको प्रेरित करते हुए कहा कि आप लोगों को पाठ्यक्रम तक ही सीमित रहने की जरूरत नहीं है। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान हासिल कीजिए, खूब अध्ययन कीजिए, जितना अधिक अध्ययन करेंगे उतना ही आपके ज्ञान में बढ़ोत्तरी होगी और आप अच्छे विद्वान और वक्ता बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह के साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्राओं को प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देते हैं।

संचालन उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ0 जिया तसनीम ने किया। उन्होंने कहा कि नजीर अकबराबादी को लोक कवि के रूप में जाना जाता है वह एक भारतीय कवि थे। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों के त्योहारों, खुशी और दुख पर कविताएँ लिखी हैं। वे सभी की खुशियों और दुखों में समान रूप से शामिल होते थे। संगोष्ठी में पेपर पढ़ने से छात्राओं में बोलने की क्षमता विकसित होती है। उनके भीतर की झिझक दूर हो जाती है और छिपी हुई प्रतिभाएँ उभरती हैं। इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मीना भारती, डॉ. शकुंतला, डॉ0 प्रशान्त द्विवेदी, डॉ. श्याम सोनकर, डॉ. शरद चंद राय, रमेश सिंह, डॉ. राजकुमार, अनुष्का छौंकर सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।

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