सम्राट अशोक धम्म विजय दशमी समारोह आयोजित
– पालि भाषा के अध्ययन पर दिया गया बल
फोटो परिचय- (5) अशोक धम्म विजय दशमी समारोह में भाग लेते अतिथि।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। यूथ बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया डॉक्टर अंबेडकर विकास समिति एवं युवा मंडल द्वारा सम्राट अशोक धम्म विजय दशमी समारोह आयोजित हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में किशनपुर नगर पंचायत के चेयरमैन सुरेंद्र कुमार सोनकर उपस्थित रहे। संचालन रामनारायण मौर्य ने किया। वक्ताओं ने सम्राट अशोक के शासन काल की नीतियों एवं कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी देते हुए बुद्ध का मार्ग अपनाने का अनुरोध किया। बुद्ध का मार्ग समता, समानता, भाईचारा एवं मानवता पर आधारित है। अतिथियों का बौद्ध धम्म का पट्टा डालकर स्वागत किया गया जबकि अतिथियों ने कमेटी के सदस्यों को भगवान बुद्ध के चित्र का बैज लगाकर उनका उत्साहवर्धन किया।
मुख्य अतिथि चेयरमैन सुरेंद्र कुमार सोनकर ने कहा कि हमें अपने व्यस्त समय से कुछ समय निकालकर धम्म का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। ज्योतिबा फुले के सपनों का भारत बनाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों में सपरिवार आना चाहिए। परिवर्तन आगे भी दिखना चाहिए। धम्म सन्मार्ग की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि लेखन पर भी विशेष ध्यान देना है क्योंकि यह हमेशा के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है। बाबा साहब का लिखित संविधान आज दुनिया के लिए उदाहरण है। उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक ने कभी हार नहीं मानी। कलिंग युद्ध में हुए रक्तपात ने उन्हें व्यथित किया और वे बौद्ध हो गए। युद्ध को छोड़कर बुद्ध को अपनाना उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट रहा। वक्ताओं में अरुण केसर, मंसाद अहमद, हनुमान सिंह यादव एडवोकेट, नरसिंह यादव, इंद्रपाल गौतम, डॉ. मलखान विश्वकर्मा, अन्नू कटियार, राम स्वरूप बाबू, चंद्र भूषण आदि रहे। आभार पूर्व जिला पंचायत सदस्य अखिलेश मौर्य ने व्यक्त किया। कक्षा तीन की छात्रा इसिता मौर्य ने अपने विचार प्रस्तुत कर सबको हैरत में डाल दिया। मुख्य वक्ता रामनारायण मौर्य ने सम्राट अशोक के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक के शिला लेखों में यह नहीं मिलेगा कि यह देश केवल बौद्धों के लिए है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता को शासन का अभिन्न अंग बनाया। इसी सोच को बाबा साहब ने संविधान में जीवंत रखा। सम्राट अशोक ने लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना कर विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। श्री मौर्य ने बताया कि बहुजन सुखाय बहुजन हिताय का नारा भी 2500 वर्ष पहले महात्मा बुद्ध ने ही दिया था। रामस्वरूप बाबूजी ने कहा कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद राग, द्वेष, लोभ, मोह, तृष्णा इन सब पर विजय प्राप्त कर ली थी। डॉ हेमेंद्र वर्मा ने पालि भाषा के अध्ययन पर जोर दिया।
पूर्व प्रधानाचार्य सियाराम मौर्य ने धर्म के बारे में भ्रांतियां दूर करते हुए कहा कि मानवता ही धर्म है। वहीं पूर्व प्रधानाचार्य सिपाही लाल यादव ने कहा कि हमें दूसरों में दोष ढूंढना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सम्यक आजीविका पर विशेष जोर दिया जिसमें कहा गया है कि जीविका का साधन अथवा रोजगार ऐसा होना चाहिए जिसमें किसी को किसी प्रकार की हानि न हो। अतिथियों ने आयोजक मंडल के सदस्य रोशन लाल मौर्य, राजेश मौर्य, सभासद अखिलेश मौर्य मंत्री, रवि मौर्य, राहुल मौर्य, प्रेम मौर्य, अंकुश मौर्य, मोहित मौर्य, मोनू मौर्य, नंदू मौर्य, किशन मौर्य, मुकेश मौर्य, आदित्य मौर्य, बलित मौर्य को महात्मा बुद्ध का बैज लगाकर उत्साहवर्धन किया। उपस्थित लोगों में उर्मिला यादव, संजय वर्मा, रतीभान बाबा, संतोष भारती, पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्यामलाल पासवान, बंसी लाल, चंदन मौर्य, तेज बहादुर संतोष मौर्य उर्फ मुन्ना मौर्य, कौशल प्रताप मौर्य, देवेंद्र गौतम, विनोद मौर्य, अमरनाथ मौर्य, हरीश गौतम, इंद्रपाल बाबू, भीम सिंह यादव, राधे रमण, अतुल कुमार, अंकित कुमार, रामानंद मौर्य, वासुदेव बाबू आदि अनेक विशिष्ट लोग शामिल हुए।