अंबाला। देश में रेल सेवा 171 साल पुरानी हो चुकी है लेकिन आंदोलनकारियों का सबसे आसान टारगेट रेल रोकना है। बंद के आह्वान हो या फिर किसी भी विरोध की सूचना मिलते ही रेलवे पहले से ही ट्रेनों को रद कर यात्रियों को सफर में होने वाले खलल से बचाने का प्रयास तो करता है, लेकिन आज तक इसका विकल्प रेलवे नहीं ढूंढ पाया है।
महज एक घंटा रेल यातायात ठप होने से जहां लाखों यात्रियों को मिनटों में ही परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है, वहीं सरकार के राजस्व को भी चूना लग रहा है। पिछले 12 माह में आठ बार रेलगाड़ियों को रोका गया। जिससे यात्रियों ने परेशानियां तो झेली ही रेलवे को भी अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा।
सोमवार को भी रेल यातायात ठप होने के चलते 106 ट्रेनें सिर्फ अंबाला मंडल से गुजरने वाली प्रभावित हुईं, जबकि पंजाब का आंकड़ा इससे अधिक है।