खाद के लिए लाइन में लगने को मजबूर किसान
– मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कैसे होगी विकसित कृषि
फोटो परिचय- खाद के लिए समिति में लगी लाइन।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। किसान हित की बड़ी बड़ी बाते करने वाली सरकारें, राजनीतिक दल, किसान संगठन, सक्षम अधिकारियों को किसानों की पीड़ा क्यों नहीं दिख रही हैं। भारत सरकार जहां कृषि तकनीक को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह की योजनाएं लागू कर रही हैं देश के किसानों को सम्मान दिया जा रहा है वहीं जिले का किसान कृषि की मौलिक सुविधाओं के लिए दर दर भटकने को मजबूर है। हालत यह है कि खाद बीज के लिए ठंड के मौसम में किसान सुबह से लाइन में लग जाते हैं फिर भी आवश्यक नहीं हैं कि शाम तक किसानों को सम्मान के साथ खाद मिल सके। इन दिनों जिले की सहकारी समितियों में अन्नदाता सुबह से शाम तक खड़े देखे जा सकते हैं। जिले की थरियांव, हथगांव, प्रेमनगर, असोथर, नरैनी, हसवा, आदि सरकारी सोसाइटियों में सुबह से ही किसान खाद के लिए खड़ा मिल जाएगा। निजी खाद की दुकानों में किसानों को लूटने का काम तेजी से चल रहा है। ओवर रेट पर खाद मिलने के बाद भी उसकी गुणवत्ता संदेह में रहती है। सोसाइटियों की यह हालत नई नहीं है। हर वर्ष गेहूं तथा आलू की बुआई से पहले जब डीएपी की मांग बढ़ती है तो हालत गंभीर हो जाते हैं। फिर भी जिले के अधिकारी, राज नेता, समस्या को दूर करने का उपाय नहीं करते। अगर अन्नदाता को कृषि हेतु खाद, पानी, बिजली भी नहीं मिल पायेगी तो किसान विकसित कैसे होगा। भारत में विश्व का 10 वां सबसे बड़ा कृषि योग्य भू-संसाधन मौजूद है। वर्ष 2011 की कृषि जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनसंख्या का 61.5 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण भारत में निवास करता है और कृषि पर निर्भर है। जिले के किसानों की विडंबना है निधि तो मिल गई है पर सम्मान से खाद बीज नहीं मिल पा रही है।