सराय करमोन में बौद्ध चर्चा का हुआ आयोजन-बड़ी संख्या में महिलाओं ने की भागीदारी

सराय करमोन में बौद्ध चर्चा का हुआ आयोजन
– बड़ी संख्या में महिलाओं ने की भागीदारी
फोटो परिचय-बौद्ध चर्चा में शामिल लोग।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। बौद्ध सेवा समिति की ओर से हथगाम विकास खंड की ग्राम सभा करमोन के सराय करमोन में बौद्ध विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें वक्ताओं ने तथागत गौतम बुद्ध एवं बाबा भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण के साथ अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। विचार गोष्ठी में संविधान पर विस्तार से चर्चा की गई और लोगों को से अनुरोध किया गया कि वे संविधान को ही फॉलो करें। संविधान ने ही बहुजन समाज को जीने का अधिकार दिया।


अध्यक्षता भीमसेन मौर्य, मुख्य अतिथि सुरेश मौर्य व संचालन अशोक कुमार ने किया। कवि एवं शायर शिव शरण बंधु ने अपनी कविताओं से बुद्ध के दर्शन तथा बाबा साहब के विचारों को प्रस्तुत किया। बौद्ध विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने अंग्रेजी राज से लेकर बाबा साहब के संविधान तक लागू किए गए विभिन्न विधानों एवं नियमों की चर्चा की। मिसाल के तौर पर बताया गया कि संविधान के पहले बहुजन समाज को किसी भी प्रकार का अधिकार प्राप्त नहीं था लेकिन बाबा साहब ने संविधान में ऐसी तमाम व्यवस्थाएं की जिसके आधार पर बहुजन समाज को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकार मिले। अंग्रेजी राज में भी बहुत सारे ऐसे कानून पास किए गए जिनमें बहुजन अधिकारों की वकालत की गई लेकिन बाबा साहब ने संविधान लिखकर अधिकारों को सुरक्षित कर दिया। बौद्ध संगोष्ठी में वक्ताओं ने तथागत गौतम बुद्ध के बताए हुए पंचशील सिद्धांतों पर चलने पर बल दिया और किसी भी प्रकार के नशे से मुक्त होने की सलाह दी। कहा गया कि हमारे पास अपनी वैज्ञानिक दृष्टि होनी चाहिए।

बुद्धि और दिमाग का इस्तेमाल करते हुए सही को सही और गलत को गलत की समझ बनानी होगी। कहा गया कि हमारे देश की पहचान तथागत गौतम बुद्ध से है। आज दुनिया के 40 देश बौद्ध विरासत को संभाले हुए हैं। प्रतीक के माध्यम से कहा गया कि जमीन ऊबड़खाबड़ है तो फसल अच्छी नहीं होती। एक बिल्ली भी मिट्टी के बने चूहे को चूहा नहीं समझती लेकिन हम अभी तक अपनी समझ नहीं बना पाए कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है। हमें आपस में मैत्री भाव रखना है। हम सब बहुजन समाज के साथी हैं। महापुरुषों का हमारे ऊपर कर्ज है। बुद्ध ने खुद कहा था कि बिना अपने दिमाग का इस्तेमाल किए उनकी बात भी मत मानो। अपनी बुद्धि पर खरा उतरो। बौद्ध दर्शन मानवता का दर्शन है। वक्ताओं ने सावित्रीबाई फुले एवं फातिमा शेख के बालिकाओं की शिक्षा पर किए गए योगदान की विस्तार से चर्चा की और शिक्षा पर विशेष बल दिया। रायबरेली से आए मुख्य वक्ता प्रमोद कुमार बौद्ध एवं मुख्य अतिथि सुरेश कुमार मौर्य, वीरपाल सिंह यादव आदि ने विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर कार्यक्रम के आयोजक शंकर लाल, रामराज बौद्ध, राजेंद्र प्रसाद हंस, कुलदीप कुमार, मदन पाल, कुशल कुमार, जयकरन मास्टर, संतोष प्रधान, रमेश चंद्र मौर्य, शेख नाजिया परवीन, विनय गौतम आदि अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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