जयपुर। वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को लेकर दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। उससे पहले राजस्थान की Bhajanlal government ने कोर्ट में आवेदन देकर इन याचिकाओं में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है।
Bhajanlal government ने कहा है कि वह इस कानून में किए गए ऐतिहासिक और संविधान सम्मत संशोधनों का समर्थन और बचाव करना चाहती है, क्योंकि राजस्थान में भी वक्फ बोर्ड द्वारा सैकड़ों एकड़ भूमि पर दावा किया गया है। सरकार का तर्क है कि यह संशोधन सरकारी व निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए जरूरी है।
Bhajanlal government में भी वक्फ बोर्ड द्वारा सैकड़ों एकड़ भूमि पर दावा किया गया
संशोधन की प्रमुख बातें :
अब किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने से पहले 90 दिन का सार्वजनिक नोटिस जारी करना अनिवार्य होगा।
इस दौरान आमजन और संभावित प्रभावित पक्षों को आपत्ति दर्ज कराने का मौका मिलेगा।
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 और 26 का उल्लंघन नहीं करता।
सरकार के मुताबिक, यह संशोधन न तो धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है और न ही किसी समुदाय विशेष के साथ भेदभाव करता है। इसमें केवल संपत्ति के दावों और उनके वैध प्रबंधन को सुस्पष्ट और न्यायोचित ढंग से संचालित करने का प्रयास किया गया है।
व्यापक परामर्श के बाद हुआ कानून में बदलाव :
संशोधन से पहले गठित संयुक्त संसदीय समिति ने देशभर के 284 से अधिक हितधारकों, जिनमें 25 राज्य वक्फ बोर्ड, 15 राज्य सरकारें, सामाजिक संगठन और विधि विशेषज्ञ शामिल थे, उनके विचारों को शामिल कर सर्वसम्मति से समर्थन दिया।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उसे इस मामले में पक्षकार बनकर राज्य हितों की रक्षा का अवसर दिया जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होनी है, जिस पर देशभर की निगाहें टिकी हुई हैं।