आल्हा गायक जयशंकर त्रिवेदी ने श्रोताओं को किया रोमांचित

आल्हा गायक जयशंकर त्रिवेदी ने श्रोताओं को किया रोमांचित
– आंबी में मां भगवती के समक्ष गायकों का सुंदर प्रदर्शन
फोटो परिचय- (10) कार्यक्रम प्रस्तुत करते आल्हा गायक जयशंकर त्रिवेदी।
मो. ज़र्रेयाब खान अजरा न्यूज़ खागा, फतेहपुर। उत्तर प्रदेश सीएम भारत सरकार एवं भारत सरकार प्रसार भारती आकाशवाणी दूरदर्शन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्कृति विभाग संगीत नाटक अकादमी से मान्यता प्राप्त त्रिवेदी आल्हा मंडल की ओर से हथगाम विकास खंड के आंबी गांव में मां दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष आल्हा सम्राट जयशंकर त्रिवेदी का शानदार गायन हुआ। उनके शिष्य नयन बाजपेई और अमृतलाल गोस्वामी ने अपने गायन से श्रोताओं को रोमांचित किया। आल्हा ऊदल की वीरता का वर्णन करने के पूर्व गायकों ने मां दुर्गा की आराधना के गीत गए। कार्यक्रम के आयोजक राजेंद्र यादव, रामकुमार शर्मा आदि ने कलाकारों का स्वागत किया।


आवव आल्हा ऊदल आवव, मोर लड़ंका लठिया लाल। खूब लड़इया लहुआ आल्हा, दूसर ले देवी बरदान। बइठ बछर बारा बन तपसी, मैहर माई के दरबार। आल्हा ऊदल चलथें अइसे, जइसे रामलखन चलि जाय। वीर रस गाथा के प्रमुख गायक टीवी रेडियो सिंगर जयशंकर त्रिवेदी के साथ संगीत में संगत दे रहे थे रामदीन चंद्र किशोर राजकुमार राजकिशोर जनार्दन यादव। गायन में महिषासुर वध का वर्णन भी किया गया आल्हा में मछला रानी पथरी गढ़ की लड़ाई, मछला हरण आदि अनेक प्रसंगों को उठाया गया। श्री त्रिवेदी ने हाव-भाव से श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। बैरागढ़ की लड़ाई में आल्हा ऊदल ने दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान को हराया था। पृथ्वीराज चौहान ने बुंदेलखंड को जीतने के लिए चंदेल राजा परमाल पर हमला किया था। इस लड़ाई में आल्हा के भाई ऊदल वीरगति को प्राप्त हुए थे। आल्ह खण्ड लोक कवि जगनिक द्वारा लिखित एक वीर रस प्रधान गाथा गीत है जिसमें आल्हा और ऊदल की 52 लड़ाइयों का रोमांचकारी वर्णन है। ये दोनों वीर बनाफर वंश से संबंधित बताए जाते हैं। इस मौके पर कल्लू महाराज, रामू मोहम्मद शरीफ, रामू पंडित, मुन्ना यादव, विनय गौतम आदि मौजूद रहे।

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