आरोप: निजीकरण के बाद बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की होगी छटनी

  विद्युत कर्मियों ने चैथे दिन काली पट्टी बांधकर दर्ज कराया विरोध
आरोप: निजीकरण के बाद बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की होगी छटनी
फोटो परिचय- (1) निजीकरण के विरोध में चैथे दिन भी प्रदर्शन करते विद्युत कर्मचारी।
मो. ज़र्रेयाब खान अज़रा न्यूज़ फतेहपुर। विद्युत कर्मचारी संघ के संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के आवाहन पर लगातार चैथे दिन भी बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया और विरोध सभा की। काली पट्टी बांधकर विरोध सभा करने का अभियान 18 जनवरी को भी जारी रहेगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के बाद बिजली कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं की बड़े पैमाने पर छंटनी होने वाली है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 44330 पद हैं और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 33161 पद है। निजीकरण होने के बाद यह 77491 पद समाप्त हो जाएंगे और स्वाभाविक तौर पर कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छटनी होगी। इसमें 50 हजार संविदा कर्मी, 23818 तकनीशियन और अन्य कर्मचारी, 2154 जूनियर इंजीनियरों और 1518 अभियंताओं के पद हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण होने के पहले ही संविदा कर्मियों की छटनी की जा रही है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। निजीकरण के बाद दिल्ली और उड़ीसा में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को वीआरएस देकर हटाया गया था। आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी ने पॉवर कॉरपोरेशन के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। ग्रेटर नोएडा में नोएडा पॉवर कंपनी ने भी उप्र राज्य विद्युत परिषद के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। इन सबको देखते हुए बिजली कर्मियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के आरएफपी डॉक्यूमेंट में अर्ली वीआरएस का उल्लेख किया गया है। सामान्यतया वी आर एस 30-35 साल की नौकरी वाले कर्मचारियों के लिए होता है किन्तु अर्ली वीआरएस से ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत कम सर्विस वाले कर्मचारियों की छुट्टी की जाने वाली है। इस मौके पर जिला सह संयोजक लवकुश कुमार, पंकज तिवारी, पंकज मौर्य, राजेश कुशवाहा, दीपक सिंह, अतुल सिंह भी मौजूद रहे।

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