काफी निर्यात में उल्लेखनीय उछाल, पिछले वित्त वर्ष में आंकड़ा 1.29 अरब डॉलर पर पहुंचा

नयी दिल्ली: भारत कॉफी के निर्यात बाजार में पिछले तीन वर्ष में उल्लेखनीय तेजी के साथ वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 1.29 अरब डॉलर के निर्यात के साथ सातवां प्रमुख कॉफी निर्यातक देश बन गया है । यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में दी गयी है।
भारत ने वर्ष 2020-21 के 71.94 करोड़ डॉलर की कॉफी का निर्यात किया था। इस तरह तीन वर्ष के अंतराल में निर्यात लगभग दो गुना हो गया है। मंत्रालय के अनुसार जनवरी 2025 के पहले पखवाड़े में भारत ने 9,300 टन से अधिक कॉफी का निर्यात किया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपने अनूठे स्वाद के चलते भारतीय कॉफी की वैश्विक बाजार में मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जनवरी 2025 की पहले पखवाड़े में भारत से इटली, बेल्जियम और रूस सहित शीर्ष बाजाराें को 9,300 टन से अधिक कॉफी का निर्यात किया। भारत के कॉफी उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा अरेबिका और रोबस्टा किस्म की कॉफी से होता है। इन्हें मुख्य रूप से बिना भुने बीन्स के रूप में निर्यात किया जाता है। हालांकि, भुनी हुई (रोस्टेड) और इंस्टेंट कॉफी जैसे उत्पादों की मांग बढ़ने से निर्यात में तेजी आई है। कैफे संस्कृति के बढ़ने, अधिक खर्च करने योग्य आय और चाय की तुलना में कॉफी को बढ़ती प्राथमिकता के कारण, भारत में कॉफी की खपत भी लगातार बढ़ रही है। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में देखी गई है। कॉफी की घरेलू खपत 2012 में 84,000 टन से बढ़कर 2023 में 91,000 टन हो गई है। यह वृद्धि कॉफी के शौकीन लोगों की बढ़ती मांग को दर्शाती है, क्योंकि दैनिक जीवन में कॉफी एक अभिन्न अंग बन गई है। भारत में कॉफ़ी के बागान मुख्य रूप से पश्चिमी और पूर्वी घाटों में उगाई जाते हैं जो अपनी पारिस्थितिकी रूप से समृद्ध और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र हैं। कर्नाटक कॉफी उत्पादन में सबसे अग्रणी है, जिसने 2022-23 में 248,020 टन कॉफी उत्पादन का योगदान दिया। इसके बाद केरल (72,425 टन ) और तमिलनाडु (18,700 टन) का स्थान था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की प्रशासिक निगरानी में काम करने वाली भारतीय कॉफी बोर्ड ने कई महत्वपूर्ण पहल शुरू की हैं। एकीकृत कॉफी विकास परियोजना (आईसीडीपी) के माध्यम से पैदावार में सुधार, गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में खेती का विस्तार और कॉफी की खेती की स्थिरता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया या है। कॉफी बोर्ड की पहलों की सफलता का एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विज्ञप्ति में कहा गया है कि मदद से आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले की अराकू घाटी में 150,000 आदिवासी परिवारों ने कॉफ़ी बोर्ड और एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के सहयोग से कॉफ़ी उत्पादन में 20 प्रतिशत की वृद्धि की है।

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