पोल टूटने से बीस घंटे आपूर्ति,आस में रात भर खेतों में बैठे रहे किसान

विद्युत पोल टूटने से बीस घंटे आपूर्ति रही ठप्प
फोटो परिचय- टूटा पड़ा विद्युत पोल।
किशनपुर, फतेहपुर। विद्युत उपकेंद्र को आने वाली लाइन के पोल टूट जाने की वजह से क्षेत्र में करीब बीस घंटे विद्युत आपूर्ति ठप रही। इस दौरान क्षेत्र के सैकड़ों गांव में अंधेरा फैला रहा। टूटे हुए दो खंभो को दुरुस्त करने में विद्युत विभाग ने बीस घंटे खपा दिए।
बीते ग्यारह नवंबर की शाम करीब सात बजे किशनपुर विद्युत उपकेंद्र को आने वाली लाइन के दो पोल खागा के समीप टूट गए। उसी समय विद्युत कर्मचारियों ने टूटे हुए खंभों को दुरुस्त करने में लग गए। देर रात कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। जिस वजह से रात में विद्युत सप्लाई बहाल नहीं हो सकी। सुबह कर्मचारियों ने फिर से काम शुरू किया। इस दौरान विभागीय सुस्ती के चलते दो खंभों की लाइन दुरुस्त करने में विभाग ने बीस घंटे लगा दिए। सुस्त काम की वजह से मंगलवार की देर शाम करीब तीन बजे के आसपास भी विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी। वहीं पोल टूटने के वजह से किशनपुर व गढ़ा पावर हाउस के मड़ौली, पहाड़पुर, गुरुवल, सेधरी, महावतपुर असहट, किशनपुर, सरौली, चंदापुर, इटोलीपुर, रामपुर समेत एक सैकड़ा से अधिक गांव अंधेरे में रहे। करीब बीस घंटे बिजली गुल रहने से लोगों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी ठप रहे। मामले जेई ने बताया कि दो पोल के टूटने की वजह से विद्युत आपूर्ति बाधित हैं। कर्मचारियों के प्रयास जारी हैं, जल्द ही आपूर्ति बहाल कराई जाएगी।


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आस में रात भर खेतों में बैठे रहे किसान
इस समय किसान गेहूं की फसल तैयार करने की तैयारी में है। बरसात न होने की वजह से खेत सूख गए है। गेहूं बोने से पहले किसान खेतों की सिंचाई कर गेहूं बोने की तैयारी में है। देर शाम घर से खाना खाकर खेतों में सिंचाई के लिए गए किसान रात बिजली आने का इंतजार करते रहे। जैसे जैसे समय बीतता गया किसानों की आस भी टूटती गई। रात भर रतजगा करने के बाद भी बिजली नहीं आई। सुबह किसानों को वापस लौटना पड़ा।


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 सिंचाई के समय विद्युत का न आना बड़ी समस्या
क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने बताया कि जब भी सिंचाई का समय आता है, किसानों को खेतों में पानी लगाने की आवश्यकता होती है। उस समय जर्जर तारों की वजह से बिजली अक्सर कर आए दिन बिगड़ती रहती है। जिस वजह से समय से फसल को पानी नहीं मिल पाता है। यही कारण है कि हर वर्ष पैदावार कम हो रही है।

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